Saturday, September 22, 2018

चार भाई महासू ....!

जय महासू देवता !


महासू देवता का मंदिर उतराखंड के देहरादून जिले के सुदूरवर्ती जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के हनोल स्थित
डॉ सुभाष चन्द्र पुरोहित
तमसा(टौंस) नदी के किनारे स्थित है। पौराणिक कथा एवं स्थानीय नागरिकों की मान्यतानुसार प्राचीन काल में सम्पूर्ण जौनसार बावर क्षेत्र किरमीच नामक राक्षस से भयभीत एवं ग्रसित था। राक्षस द्वारा हर रोज किसी न किसी मानव को अपना शिकार बनाकर भक्षण किया जाता था। राक्षस के इस अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए हुणाभाट नामक ब्राह्मण ने भगवान शिव एवं शक्ति की उपासना की, जिससे कि राक्षस के वध के लिए चार भाई महासू की उत्पति हुई। परंतु कुछ स्थानीय निवासियों के अनुसार हुणाभाट नामक ब्राह्मण ने शिलिगुडी महाराज के सहयोग से कश्मीर के तत्कालीन महाराजा को अपने क्षेत्र में किरमीच राक्षस के आतंक की व्यथा से अवगत कराया। उन्होंने उपाय स्वरूप बताया कि कुछ समय पश्च्यात आपके घर में गाय के दो बछडों का जन्म होगा। आप एक बात का ध्यान रखना कि बछडों के जन्म होते ही उनको बिना दुग्धपान कराए आप इन बछड़ों की जोड़ी बनाकर हल जोतना। ब्राहमण द्वारा ऐसा ही किया गया, परंतु भूलवश बछडों को दूग्ध पान करा दिया गया था।  महेंद्रथ में जब बछडों को जोतकर हल लगाना प्रारम्भ किया तो सबसे पहले बाशिक महाराज की उत्पति हुई, परंतु हल की नोक उनकी एक आँख में लग जाने के कारण वो एक आंख से दृष्टि विहीन हो गए। फिर कुछ आगे चलकर दूसरे महासू की उत्पति हुई, परन्तु हल की नोक उनके घुटने पर लगने के कारण वह चलने फिरने में असमर्थ हो गए और बैठे ही रहने के कारण उन्हें "बोठा महासू" महाराज कहते हैं। हल जैसे-जैसे आगे बड़ा, तीसरे महासू की उत्पत्ति हुई किन्तु हल की नौक उनके कान में लगने के कारण वो बहरे पैदा हुए। अंततः सकुशल चौथे महासू देवता प्रकट हुए जिन्हें हल ने कोई नुकसान नहीं पहुँचाया और कालांतर में वह चाल्दा नाम से प्रसिद्ध हुए।

   चारों महासुओं की उत्पति के पश्च्यात महासू देवताओं ने अपने प्राक्रम से किरमीच नामक दैत्य का अंत कर सम्पूर्ण क्षेत्र को राक्षस के भय से मुक्ति दिलायी, तब से ही महासू देवता स्थानीय न्याय एवं रक्षा के स्वरूप के रूप में पूजनीय हैं।


महासू देवता मंदिर

   

   सबसे बड़े भाई बाशिक महाराज का मंदिर महेंद्रथ में, दूसरे बोठा महाराज का मंदिर हनोल, तीसरे महासू देवता पवाशी में एवं चाल्दा महाराज जो कि सम्पूर्ण जौनसार बावर मे निरंतर भ्रमण करते रहने के लिए विख्यात हैैं।





(उपरोक्त लेख स्थानीय निवासियों के साथ वार्तालाप से प्राप्त जानकारी पर आधारित है)

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